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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका

विश्व के तमाम लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था वाले देशों में दलीय व्यवस्था हैं। जनवादी चीन में भी दलीय व्यवस्था दृष्टिगोचर होती है। किन्तु जनतंत्रात्मक देशों की दलीय व्यवस्था एवं चीन की दलीय व्यवस्था में भेद है जनतंत्रात्मक शासन व्यवस्था में दलीय व्यवस्था के अन्तर्गत कम से कम दो राजनीतिक दलों की अनिवार्यता होती है। इसमें शासन सत्ता किसी एक राजनीति दल के हाथ में होती है। किन्तु चीन में चूंकि एकदलीय शासन व्यवस्था है अतः वहाँ जनतंत्र की वह आवश्यक दशा की पूर्ति नहीं होती जिसमें कम से कम नागरिकों के सम्मुख विकल्प के रूप में दो राजनीतिक दल का होना अनिवार्य माना जाता है। चीन में एकमात्र साम्यवादी दल है। 1982 के संविधान में साम्यवादी दल की महत्ता को स्वीकार करते हुए स्पष्ट रूप से संविधान की प्रस्तावना में वर्णित किया गया है कि चीन में साम्यवादी दल के नेतृत्व में जो मार्क्सवाद, लेनिनवाद एवं माओवाद से प्रेरित है, चीनी जनता लगातार समाजवादी पथ पर अग्रसर होती रहेगी। इसी प्रस्तावना से ही स्पष्ट है कि जनवादी चीन में साम्यवादी दल का कितना महत्व है। चीन की सर्वोच्च विधानसभा राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की विभिन्न क्षेत्रों की उम्मीदवारी में उम्मीदवारों की एक ही सूची रखी जाती है, इस प्रकार चुनाव में मतदाताओं के लिए चयन जैसा कोई विकल्प नहीं होता। यह सूची साम्यवादी दल द्वारा तय की जाती है। इस प्रकार कांग्रेस की सदस्यता के लिए उम्मीदवारी का निर्धारण करने का अन्तिम अधिकार साम्यवादी दल के पास है। इस तरह साम्यवादी दल कांग्रेस में अपने एकाधिकार की स्थापना कर लेता है। दिखावे के लिए उम्मीदवारी की यह नामजदगी व्यापक विचार-विमर्श एवं उम्मीदवार की योग्यता के आधार पर की जाती है। किन्तु तरीका चाहे जो भी प्रयुक्त किया जाए. साम्यवादी दल का प्रभुत्व तो स्थापित होता ही है।

इसी प्रकार चीन में साम्यवादी दल एवं शासन में भी भेद स्थापित कर पाना सम्भव नहीं है। शासन से जुड़े हुए प्रत्येक अंग में साम्यवादी दल के पूर्ण प्रभाव को देखा जा सकता है। चीन के मंत्रिपरिषद अर्थात राजपरिषद की रचना से इस बात की पुष्टि होती है कि उसमें साम्यवादी दल के वरिष्ठ एवं प्रभावशाली नेता ही स्थान पाते हैं। इस प्रकार साम्यवादी दल अपने कार्यक्रमों एवं आदर्शों को इसके माध्यम से क्रियान्वित करता है। चीन में साम्यवादी दल के एक वरिष्ठ नेता तुंग पी यू के अनुसार चीन में साम्यवादी दल राज्य के सभी अंगों (विधायी कार्यपालिकीय या न्यायिक) का निर्देशक है। राज्य के इन तीन अंगों के माध्यम से दल अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों को देश में क्रियान्वित करवाता है। एक दूसरे वरिष्ठ नेता शेन यू डाई का विचार भी ऐसा ही हैं चीन की न्यायपालिका भी साम्यवादी दल के पूर्ण प्रभाव में होती है। सर्वोच्च जन नयायालय के सभापति का चयन कांग्रेस द्वार तथा अन्य न्यायाधीशों का चयन उसके परामर्श के अनुसार स्थायी समिति द्वारा होना भी इस बात का पूर्ण प्रमाण है कि ये सभी साम्यवादी दल के पूर्ण प्रभाव में होते हैं। जिस अंग द्वारा इनका निर्वाचन गुंजाइश नहीं रहती कि इसके द्वारा चुना गया यह अंग भी उससे अछूता रहे। साम्यवादी आदर्शों एवं उसकी स्थायी समिति के प्रति उत्तरदायी होता है। इस तरह न्यायालय अपनी स्वतन्त्रता खो बैठता है। न्यायालय को इस तरह का उत्तरदायित्व का निर्धारण कांग्रेस एवं उसकी स्थायी समिति के अनुकूल कार्य करने के लिए बाध्य कर देता है। नीचे के विभिन्न स्तरों के न्यायालय भी अपने स्तर की कांग्रेस एवं उसकी परिषद के प्रति उत्तरदायी होते हैं।

इतना ही नहीं चीन में रक्षा मंत्रालय भी साम्यवादी दल के पूर्ण नियन्त्रण में रहता है। सेना के वरिष्ठ अधिकारी साम्यवादी दल के सक्रिय सदस्य होते हैं। सेना में उचित प्रशासनिक व्यवस्था को बनाये रखने के लिए चीन के संविधान में 'केन्द्रीय सैनिक आयोग का प्रावधान किया गया है। कांग्रेस इस आयोग के अध्यक्ष का निर्वाचन करती है और कांग्रेस की स्थायी समिति आयोग के अध्यक्ष के परामर्श के अनुसार उसके अन्य सदस्यों का निर्वाचन करती है। इन सभी का कार्यकाल कांग्रेस के समान 5 वर्ष का होता है। यह आयोग में . साम्यवादी दल के प्रभावशाली नेतागण ही निर्वाचित होते हैं। साम्यवादी दल की प्रारम्भिक इकाई जिसे स्थानीय शाखा कहते हैं, यह विभिन्न कारखानों, उद्योग-धन्धों एवं सैनिक इकाइयों में ही स्थापित की जाती है। इस प्रकार साम्यवादी दल सम्पूर्ण सैनिक एवं रक्षा व्यवस्था को अपने पूर्ण प्रभाव एवं नियन्त्रण में रखता हैं।

स्पष्ट है कि जनवादी चीन के सामाजिक एवं राजनीतिक ढांचे में साम्यवादी दल की दल की अत्यन्त मत्वपूर्ण भूमिका है। वही देश की समाजवादी व्यवस्था का रचयिता है और वही इसका रक्षक भी।

साम्यवादी की पूर्ण सुरक्षा का उत्तरदायित्व भी वहीं निभाता है। राज्य की प्रत्येक व्यवस्था के माध्यम से वह इस दिशा में सतत् प्रयास करता है। साम्यवादी दल की इस स्थिति ने उसे अनायास ही अधिनायकवादी स्थिति में पहुंचा दिया है। एस. बी. थामस की पुस्तक 'साम्यवादी चीन में सरकार एवं शासन के अनुसार "जनवादी चीन में शासन एवं उसके कार्य साम्यवादी दल की नीति के अनुसार ही होते हैं।" एशिया की आधुनिक राजनीतिक व्यवस्थायें नामक पुस्तक के लेखक वार्ड मैकराइडिस के अनुसार "चीन में साम्यवादी दल शासन पर अपना पूर्णाधिकार प्रभुत्व स्थापित किए हुए है।

1982 के चीन के संविधान के अनुच्छेद के अनुसार जनवादी गणतंत्रात्मक चीन लोकतांत्रिक अधिनायकवाद वाला एक समाजवादी राज्य है जिसका नेतृत्व श्रमिक वर्ग के हाथ में है एवं यह श्रमिक एवं कृषकों के मित्रता पूर्ण सम्बन्धों पर आधारित है। अनुच्छेद 2 में स्पष्ट घोषित किया गया है कि जनवादी चीन में सम्पूर्ण शक्तियाँ जनता में निहित हैं। चीन में मंत्रिपरिषद अर्थात राज्य परिषद संविधान में अनुच्छेद 92 के अनुसार अपने कार्यों के लिए राष्ट्रीय जन कांग्रेस एवं उसकी अनुपस्थिति में उसकी स्थायी समिति के प्रति उत्तरायी होती है। इस तरह के संविधान में कुछ प्रावधानों से चीन में लोकतंत्र का आभास होता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों के अध्ययन से इस बात की और भी पुष्टि होती है लेकिन वस्तुतः चीन में यह सब व्यवस्थायें भ्रामक हैं। जैसाकि लोकतंत्र के लिए आवश्यक है कम से कम राज्य में दोनों राजनीतिक दलों की उपस्थिति अनिवार्य है जबकि चीन में एकदलीय शासन व्यवस्था है। यह लोकतंत्र पर सीधा आघात है। साम्यवादी आदर्शों एवं लक्ष्यों से पूरी तरह नियन्त्रित हैं। ये अधिकार नागरिकों को साम्यवादी के विपरीत उपलब्ध नहीं कराये जा सकते। न्यायालय से भी अधिकारों के सन्दर्भ में उपचार की व्यवस्था नहीं है। इन स्थितियों में दिये गये मौलिक अधिकार वास्तविकता कम शोभा की वस्तु अधिक है। प्रजातंत्र के लिए न्यायपालिका की स्वतन्त्रता अनिवार्य है। किन्तु चीन में न्यायपालिका पूरी तरह अपने विभिन्न स्तरों पर स्थित कांग्रेस एवं उसकी समिति या परिषद के अधीन है। न्यायपालिका से भी यह अपेक्षा की गयी है कि वह साम्यवादी आदर्शों एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की दिशा में ही कार्य करेगी। इस प्रकार चीन में स्वतन्त्र न्यायपालिका का अभाव है। चीन के साम्यवादी दल का नियन्त्रण नागरिकों पर अत्यधिक कठोर है। दल साम्यवादी अनुशासन को ही सर्वोच्च महत्ता देता है और नागरिकों से इस बात की पूर्ण अपेक्षा करता है कि वे साम्यवादी हितों के विपरीत कार्य नहीं करेंगे। इस प्रकार जनवादी चीन में लोकतंत्र के विपरीत ही दशायें प्रभावी हैं। वस्तुतः चीन में वहाँ पर से तो लोकतंत्र दिखायी देता है किन्तु व्यावहारिक धरातल में वहां की शासन व्यवस्था अधिनायकवादी ही है अन्य दलों का अभाव, न्यायपालिका की स्वतन्त्रता केन्द्रवादी प्रवृत्तियों का प्राधान्य आदि अनेक ऐसे तथ्य है जो चीन में स्पष्टः साम्यवादी दल के अधिनायकवाद की स्थापना करते हैं। शिक्षा, मनोरंजन जैसे जीवन के सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं में भी साम्यवादी अवधारणा पूरी तरह प्रभावी है। जीवन के ये क्षेत्र भी साम्यवादी एवं साम्यवादी दल के पूर्ण नियन्त्रण में हैं। साम्यवादी दल कठोरता के साथ नागरिकों के वहाँ पर एकता की स्थापना करता है और वास्तविकता तो यह है कि उपरोक्त तथ्यों के आधार पर यह कहना अनुचित न होगा कि जनवादी चीन में अधिनायकवाद है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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